Om shree maha 🙏
Ganadhi patey namah
Om shree umamaheshawara bhya namah 🛐
Vaalmiki gurudeva ne 🙏
Kar pankaj teer naam
Sumire maat saraswati 🌺
Hum par ho khud sawaar
Maat peeta ki vandana 🛐
Karte baaram baar
Gurujan raaja praja 💗
Jan naman karo svikaar 😟
Hum katha sunate 🙏
Ram sakal gundham ki
Hum katha sunate 🌺
Ram sakal gundham ki
Yeh ramayan hai 🛐
Punya katha shrii ram ki 😟
Jambu dweepebharat khande 🙏
Aryavarte bharat varshe
Ek nagari hai vikyat ayodhya naam ki 🌺
Yehi janma bhoomi hai
Param pujya shrii ram ki 🛐
Hum katha sunate
Ram sakal gun dham ki 💗
Yeh ramayan hai
Punya katha shrii ram ki 😟
Yeh ramayan hai
Punya katha shrii ram ki
Raghukul ke raja dharmatma 🙏
Chakravarti dashrath punyatma
Santati hetu yagya karvaya 🌺
Dharm yagya ka shubh phal paya
Nrip ghar janme char kumaraa 🛐
Raghukul deep jagat adhaara
Charon bhratonke shubh naama 💗
Bharat shatryghna lakshman rama 😟
Hum katha sunate ram sakal gun dhaam ki bhajan lyrics 🙏
Guru vashishtha ke gurukul jaake
Alpa kaal vidya sab paake 🌺
Puran huyi shiksha
Raghuvar puran kaam ki 🛐
Hum katha sunate
Ram sakal gun dham ki 💗
Yeh ramayan hai
Punya katha shrii ram ki 😟
Yeh ramayan hai
Punya katha shrii ram ki
Mruduswar komal bhavana 🙏
Rochak prastuti dhang
Ek ek kar varnan kare 🌺
Lav-kush ram prasang
Vishwamitr mahamuni raayi 🛐
Inke sang chale do bhai 😟
Kaise ram tadka 🙏
Kaise naath ahilya taari
Munivar vishwamitra tab 🌺
Sang le lakshman ram
Siya swayamvar dekhne 🛐
Pahunche mithila dham 😟
Janakpur utsav hain bhaari 🙏
Janakpur utsav hain bhaari
Apne var ka chayan 🌺
Karigi sita sukumari
Janakpur utsav hain bhaari 🛐
Janak raj ka kathin pran 🙏
Suno suno sab koi
Jo tode shiv dhanush ko 🌺
So sita pati hoye
Jo tore shiv dhanush kathor 🛐
Sab ki drishti ram ki oar
Ram vinaygun ke avtaar 💗
Guruvar ki aagya siroddhar
Sehej bhaav se shiv dhanu toda 😟
Janak suta sang naata joda
Raghuvar jaisa aur na koi 🙏
Sita ki samata nahin hoyi
Jo kare parajit kaanti koti rati kaam ki 🌺
Hum katha sunate ram sakal gundham ki
Yeh ramayan hai punya katha siya ram ki 🛐
Sab par shabd mohini daali 🙏
Mantramugdha bhaaye sab nar naari
Yun din rain jaat hain beete 🌺
Lav-kush ne sab ke mann jeete
Van gaman sita haran hanumat milan 🛐
Lanka dehen ravan maran
Ayodhya punaraagaman 💗
Sab vistar katha sunaayi
Raja ram bhaye raghuraai 😟
Ram-raj aayo sukh daayi
Sukh samriddhi shrii gharghar aayi
Kaal chakra ne ghatna kram mein 🙏
Aisa chakra chalaya
Ram siya ke jeevan mein 🌺
Phir ghor andhera chaaya!!
Avadh mein aisa aisa ek din aaya 🛐
Nishkalank pe praja ne
Mithya dosh lagaya 💗
Avadh mein aisa aisa ek din aaya 😟
Chadi siya jab todke 🙏
Sab sneh-naatae moh ke
Pashan hridayonmein na 🌺
Angaare jage vidhroha ke
Mamtamayi maaonke 🛐
Aanchal bhi simat kar reh gaye
Gurudev gyan aur neeti ke 💗
Sagar bhi ghat kar rehgaye 😟
Na raghukul na raghukul nayak 🙏
Koi na hua sia ka sahayak
Maanavta ko kho baithe jab 🌺
Sabhya nagar ke vaasi
Tab sita ko hua sahayak 🛐
Van ka ek sanyaasi 😟
Un rishi param udaar ka 🙏
Valmiki shubh naam
Sita ko aashray diya 🌺
Le aaye nij dham..
Raghukul mein kuldeep jalaye 🛐
Ram ke do sut siya ne jaaye 😟
Shrota gan jo ek raja ki putri hain 🙏
Ek raja ki putrvadhu hain
Aur ek chakravati samrat ki patni hain 🌺
Wohi maharani sita
Vanvaas ke dukho mein 🛐
Apne dino kaise kaat ti hain
Apne kul ke gaurav aur 💗
Swabhimaan ki raksha karte huye 😟
Kisi se sahayta maange bina 🙏
Kaise apna kaam woh swayam karti hain…
Swayam van se lakdi kaant ti hain 🌺
Swayam apna dhaan kootti hain
Swayam apni chakki peesti hain 🛐
Aur apni santaanonko
Swavalambi banane 💗
Ki shiksha kaise deti hain
Ab uski karun jhaani dekhiye 😟
Janak dulari kulavadhu 🙏
Dasharath ji ki raj rani ho
Ke din van mein bitati hain 🌺
Rehti thi gheri jise
Das- dasi aatho yam 🛐
Daasi bani apni
Udaasi ko chupati hain 💗
Dharam praveena
Sati param kulina sab 😟
Vidhi dosh-hina
Jina dukh mein sikhati hain
Jagmata hari-priya lakshmi swarupa siya 🙏
Koonti te hain dhaan bhoj swayam banati hain
Kathin kulhadi leke lakdiya kaant ti hain 🌺
Karam likhe ko par kaant nahi paati hain…
Phool bhi uthana bhaari jis sukumari ko tha 🛐
Dukh bhari jeevan woh uthathi hain
Ardhangi raghuveer ki woh dhare dheer 💗
Bharti hai neer neer jal mein nehlati hain 😟
Jiske prajake apvaadon 🙏
Kuchakra mein
Peesti hai chaaki 🌺
Swabhiman bachati hain
Paalti hain bachchonko 🛐
Woh karmayogini ke bhaati
Swavalambi safal banati hain 💗
Aisi sita mata ki pariksh leti
Nithur niyati ko daya bhi nahi aati hain 😟
O…us dukhiya ke raj-dulaare 🙏
Hum hi sut shrii ram tihaare
O….sita maa ki aankh ki taare…ee 🌺
Lav-kush hain pitu naam hamare
He pitu bhagya hamare jaage 🛐
Ram katha kahe ram ke aage 😟
Hum Katha Sunate Lyrics in Hindi
ॐ श्री महा गनाधि पते नमः 🙏
ॐ श्री उमामहेश्वरा भ्या नमः
वाल्मीकि गुरुदेव ने 🌺
कर पंकज तीर नाम
सुमिरे मात सरस्वती 🛐
हम पर हो खुद सवार 😟
मात पीता की वंदना 🙏
करते बारंबार
गुरुजन राजा प्रजाजन 🌺
नमन करो स्वीकार
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की 🛐
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की 😟
जंबू द्वीपे भरत खंडे 🙏
आर्यवरते भारत वर्षे
एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की 🌺
येही जन्म भूमि है परम पूज्य श्री राम की
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुनधाम की 🛐
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की 😟
रघुकुल के राजा धरमात्मा 🙏
चक्रवर्ती दशरथ पुण्यात्मा
संतति हेतु यज्ञ करवाया 🌺
धर्म यज्ञ का शुभफल पाया
नृप घर जन्मे चार कुमारा 🛐
रघुकुल दीप जगत आधारा
चारों भ्राताओं के शुभ नाम 💗
भरत शत्रुग्न लक्ष्मण रामा 😟
गुरु वशीष्ठ के गुरुकुल जाके 🙏
अल्प काल विध्या सब पाके
पुरन हुयी शिक्षा रघुवर पुरन काम की 🌺
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की 🛐
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की 😟
म्रीदुस्वर कोमल भावना 🙏
रोचक प्रस्तुति ढंग
एक एक कर वर्णन करे 🌺
लव कुश राम प्रसंग
विश्वामित्र महामुनि राई 🛐
इनके संग चले दो भाई 😟
कैसे राम तड़का मायी 🙏
कैसे नाथ अहिल्या तारी
मुनिवर विश्वामित्र तब 🌺
संग ले लक्ष्मण राम
सिया स्वयंवर देखने 🛐
पहुचे मिथिला धाम 😟
जनकपुर उत्सव है भारी 🙏
जनकपुर उत्सव है भारी
अपने वर का चयन 🌺
करेगी सीता सुकुमारी
जनकपुर उत्सव है भारी 🛐
जनक राज का कठिन प्रण 🙏
सुनो सुनो सब कोई
जो तोड़े शिव धनुष को 🌺
सो सीता पति होए 🛐
जो तोडे शिव धनुष कठोर 🙏
सब की दृष्टि राम की ओर
राम विनयगुण के अवतार 🌺
गुरुवर की आज्ञा सिरोद्धार
सेहेज भाव से शिव धनु तोड़ा 🛐
जनक सुता संग नाता जोड़ा 😟
रघुवर जैसा और ना कोई 🙏
सीता की समता नहीं होई
जो करे पराजित कान्ति कोटी रति काम की 🌺
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की 🛐
सब पर शब्द मोहिनी डाली 🙏
मंत्रमुग्ध भए सब नर-नारी
यूं दिन रैन जात है बीते 🌺
लव कुश ने सब के मन जीते
वन गमन सीता हरन हनुमत मिलन 🙏
लंका देहेन रावण मरण
अयोध्या पुनरागमन 🌺
सब विस्तार कथा सुनाई
राजा राम भए रघुराई 🛐
राम राज आयो सुख दायी
सुख समृद्धि श्री घर घर आई 😟
काल चक्र ने घटना क्रम में 🙏
ऐसा चक्र चलाया
राम सिया के जीवन में 🌺
फिर घोर अंधेरा छाया
अवध में ऐसा ऐसा ऐक दिन आया 🛐
निष्कलंक सीता पे प्रजा ने
मिथ्या दोष लगाया 💗
अवध में ऐसा ऐसा ऐक दिन आया 😟
चलदी सिया जब तोड़कर 🙏
सब स्नेह-नाते मोह के
पाषाण हृदयो में ना 🌺
अंगारे जगे विद्रोह के
ममतामयी माओ के 🛐
आँचल भी सिमट कर रेह गए
गुरुदेव ज्ञान और नीति के 💗
सागर भी घट कर रेह गए 😟
ना रघुकुल ना रघुकुल नायक 🙏
कोई ना सिया का हुआ सहायक
मानवता को खो बैठे जब 🌺
सभ्य नगर के वासी
तब सीता को हुआ सहायक 🛐
वन का एक सन्यासी
उन ऋषि परम उदार का 🙏
वाल्मीकि शुभ नाम
सीता को आश्रय दिया 🌺
ले आए निज धाम
रघुकुल में कुलदीप जलाए 🛐
राम के दो सूत सियने जाये 😟
श्रोता गण जो एक राजा की पुत्री है 🙏
एक राजा की पुत्रवधू हैं
और एक चक्रवती सम्राट की पत्नी है 🌺
वोही महाराणी सीता
वनवास के दुखो में 🛐
अपने दिनो कैसे काटती हैं
अपने कुल के गुरुवर और 💗
स्वाभिमान की रक्षा करते हुये 😟
किसी से सहायता मांगे बिना 🙏
कैसे अपने काम वो स्वयं करती है
स्वयं वन से लकड़ी काटती है 🌺
स्वयं अपना धान कूटती है
स्वयं अपनी चक्की पीसती हैं 🛐
और अपनी संतान को
स्वावलंबन बनने की शिक्षा कैसे देती है 💗
अब उसकी करुण झांकी देखिये 😟
जनक दुलारी कुलवधु 🙏
दशरथ जी की राजा रानी हो के
दिन वन में बिताती हैं 🌺
रेहती थी घेरी जिसे
दास-दासी आठो यम 🛐
दासी बनी अपनी
उदासी को छूपाती है 💗
धरम प्रवीन सती परम कुलिन सब
विधि दोशहीन 😟
जीना दुख में सिखाती हैं
जगमाता हरी-प्रिय लक्ष्मी स्वरूप सिया 🙏
कूटती है धान भोज स्वयं बनाती है
कठिन कुल्हाड़ी लेके लकड़िया कांटती है 🌺
करम लिखेको पर काट नहीं पाती है
फूल भी उठाना भारी जिस सुकुमारी को था 🛐
दुख भरी जीवन बोज वो उठाती है
अर्धांगी रघुवीर की वो धरधीर 💗
भर्ती है नीर नीर जलमें नेहलाती है
जिसके प्रजाके अपवादों कुचक्रा में 🙏
वो पीसती है चक्की स्वाभिमान बचाती है
पालती है बच्चों को वो कर्मयोगिनी के भाति 🌺
स्वाभिमानी स्वावलंबी सफल बनाती हैं
ऐसी सीता माता की परीक्षा लेते दुख देते 🛐
निठुर नियति को दया भी नहीं आती है 😟
ओ उस दुखिया के राज-दुलारे 🙏
हम ही सूत श्री राम तिहारे
ओ सीता माँ की आँख के तारे 🌺
लव-कुश है पितु नाम हमारे
हे पितु भाग्य हमारे जागे 🛐
राम कथा कही राम के आगे 😟
निष्कर्ष
hum katha sunate lyrics इस भक्तिपूर्ण और कथात्मक गीत मे भगवान राम और उनकी पत्नी सीता की स्तुति की गई है, इसमे इतिहास के महाकाव्य रामायण से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाओ की जुबानी है । इसमे भगवान गणपती और भगवान शिव की महिमा को भी बताया गया है ।
इस कथातमक रचना मे भगवान राम के जीवन की घटनाओ जैसे उनकी बँवस सीता की रावण द्वारा हरण और रावण को हारने के बाद अयोध्या मे वापसी का वर्णन है । इस गीत मे ऋषि बाल्मीकि को व दर्शाया गया है जो रामायण के लेखक थे । इसमे रमायाँ से संबंधित विभिन्न स्थानों का उलेख है, जैसे की अयोध्या, मिथिला, और जनकपुर । इसमे भगवान राम की धार्मिकता, उनके रघुकुल की महत्वपुरता, और उनके भाइयों भरत, शत्रुघन, और लक्ष्मण की उदार गुणों को प्रकट किया गया है ।
भक्तिपूर्ण गीत के अंत मे सीता के बनवास, लव और कुश के जन्म, और उनकी फिर से भगवान राम से मिलने की कथा और सीता को एक बल, सहनशीलता, और भक्ति के प्रतीक के रूप मे दिखाया गया है ।